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पत्नी सुतापा के लिये और जीना चाहते थे इरफान !

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मशहूर बॉलीवुड अभिनेता इरफान खान ने आज मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में अंतिम सांस ली। 53 साल की उम्र में इरफान बीमारी से जिंदगी की जंग हार गए। इरफान की टीम के सदस्यों के आधिकारिक बयान के मुताबिक उन्हें कल देर शाम पेट में संक्रमण की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

मालूम हो कि हिंदी फिल्म जगत के बेहतरीन अदाकारों में से एक इरफान खान लंदन में कैंसर के इलाज के बाद फरवरी 2019 में फिल्म अंग्रेजी मीडियम की शूटिंग के लिए भारत लौटे। कुछ दिनों बाद ही वह फिर लंदन चले गये इलाज जारी रखने के लिए। बता दें कि मार्च 2018 में इरफान को उनकी बीमारी के बारे में मालूम हुआ। उन्हें neuroendocrine tumor( मस्तिष्क का कैंसर) था। लंदन में एक साल तक उनका इलाज चला। इस बीच वह भारत आते-जाते रहे।  

इरफान की बीमारी से लेकर इलाज, इलाज से लेकर उनके अंतिम सफर तक इरफान की पत्नी उनकी हमसफर रहीं। खुद इरफान ने कुछ दिनों पहले एक अखबार को दिए अपने इंटरव्यू में यह बात कही थी। अखबार को दिये इरफान के इंटरव्यू के अंश : “ अगर मुझे जीने का मौका मिलता है तो मैं अब अपनी पत्नी के लिए जिंदा रहना चाहूंगा।”

इरफान ने कई बार खुद अलग-अलग अखबार एवं चैनलों को दिये अपने इंटरव्यू में बताया था कि उनकी पत्नी सुतापा सिकदर ने कैसे उन्हें कैंसर से लड़ने के लिये मानसिक तौर पर तैयार किया था। ।

कैंसर बीमारी में मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता बिल्कुल कम हो जाती हैं। मरीज को बेहद शारीरिक एवं मानसिक दर्द से गुजरना पड़ता है। इस बीमारी का इलाज भी बहुत कष्टदायक होता है। मरीज को इलाज के भी कई शारीरिक एवं मानसिक दुष्प्रभावों से गुजरना पड़ता है। ऐसे में बहुत जरूरी हो जाता है कि मरीज का ख्याल रखने वाला खुद मानसिक तौर पर सबल एवं सकरात्मक रहे क्योंकि अपने प्रिय को बेबस होकर कष्ट में देखना बहुत कष्टदायक होता है। ऐसे में सुतपा के लिए भी इरफान की बीमारी का वक्त बेहद चुनौतिपूर्ण रहा होगा। मगर जैसा कि खुद इरफान ने अपने कई इंटरव्यू में कहा कि वह सुतापा ही हैं जिन्होंने उन्हें इस बीमारी से लड़ने की ताकत दी थी।

सुतापा और इरफान की मुलाकात राष्ट्रीय नाट्य अकादमी(National School of Drama) में हुई थी। वहीं से दोनों के हमसफर बनने का सफर तय हुआ। दोनों अलग-अलग धर्म के थे मगर उनके धर्म कभी उनके रिश्ते के आड़े नहीं आया। 23 फरवरी 1995 को दोनों शादी के बंधन में बंधे। उनके दो बेटे हैं बाबिल और अयान।

जैसा कि मायानगरी मुंबई के फिल्मजगत में अपनी पहचान बनाने आये हर व्यक्ति के पास संघर्ष की अपनी दास्तान होती है, सुतपा एवं इरफान ने भी साथ में एक लंबा संघर्ष भरा सफर तय किया। NSD में इरफान से मुलाकात के दौरान सुतपा अभिनय सीख रही थीं हालांकि उनके मुताबिक उनकी रूचि हमेशा से लेखन में रही। सुतपा ने कई टेलीविजन धारावाहिक लिखे हैं। कई फिल्मों के लिए भी उन्होंने संवाद लिखे हैं। सुतापा ने फिल्म “खामोशी-द म्यूजिकल”, “शब्द”, “कहानी” एवं “सुपारी” के लिए संवाद लिखे हैं। एक निर्माता के तौर पर वह साल 2016 में आई फिल्म मदारी से भी जुड़ी थीं। इमसें इरफान खान मुख्य भूमिका में थे। वह साल 2018 में रिलीज हुई फिल्म “करीब करीब सिंगल” की निर्माता भी रही हैं”। इस फिल्म के अभिनेता भी इरफान ही थे।

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